Friday, 23 February 2018

बिहार की प्रतिभाओं ने अपनी मेहनत, लगन, क्षमता और विशिष्टता से देश-विदेश में अपना, परिवार का, इलाके का और राज्य का नाम रोशन किया है। मिथिलांचल तो हमेशा से ही ऐसी प्रतिभाओं से समृद्ध क्षेत्र रहा ही है। विश्वविख्यात मिथिला पेंटिंग की प्रतिभाशाली कलाकार श्रीमती हेमा देवी को कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। कहा जाता है कि मां पहली पाठशाला होती है और कला विरासत में मिलती है, श्रीमती हेमा देवी इसकी मिसाल हैं। उन्होंने अपनी माताजी मधुबनी की रशीदपुर की श्रीमती लीला देवी से मिथिला चित्रकला का ज्ञान हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने अपनी सासु मां श्रीमती सुभद्रा देवी से पेपरमेसी की बारीकियां सीखी। संयोगवश श्रीमती हेमा देवी के पति भी मिथिला चित्रकला में बिहार सरकार से सम्मानित कलाकार हैं और श्रीमती हेमा देवी को भी राज्य सरकार पुरस्कृत कर चुकी है। इनके अलावा सिक्की कला में भी बिहार के दो बड़े कलाकारों को बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है। इनमें मधुबनी के पंडौल प्रखंड के रामपुर निवासी सिक्की कलाकार श्री धीरेंद्र कुमार शामिल हैं। श्री धीरेंद्र कुमार उपेंद्र महारथी संस्थान की ओर से रामपुर में सिक्की के प्रशिक्षक हैं। सिक्की कला में ही अमूल्य योगदान के लिए झंझारपुर के रैयाम गांव की श्रीमती सुधीरा देवी को भी नेशनल मेरिट अवार्ड के लिए चुना गया है। श्री धीरेंद्र कुमार और श्रीमती सुधीरा देवी को सिक्की कला के क्षेत्र में योगदान के लिए बिहार सरकार पहले ही सम्मानित कर चुकी है, अब राष्ट्रीय सम्मान हासिल कर इन्होंने बिहार का नाम सिक्की कला के क्षेत्र में और ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। ये तीनों कलाकार बिहार में रहते हुए बिहार की विरासत को दुनिया में पहुंचा रहे हैं। इनके अलावा मधुबनी के जितवारपुर की ही ममता देवी को भी दिल्ली के कोटे से नेशनल मेरिट अवार्ड के लिए चुना गया है। मिथिलांचल और बिहार की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाने वाले इन सभी कलाकारों को उनकी शानदार उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।


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