Tuesday, 31 October 2017
बिहार प्रदेश जनता दल (यू) किसान प्रकोष्ट द्वारा आयोजित किसान नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की १४२ वी जयंती समारोह में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार जी,बिहार जनता दल (यू) के प्रदश अध्यक्ष श्री वशिष्ठ नारायण सिंह,संसद श्री संतोष कुशवाहा,राज्यसभा सदस्य श्री राम नाथ ठाकुर,विधान परिषद् सदस्य श्री गाँधी जी,श्री उपेन्द्र सिंह जी,पूर्ब मंत्री श्रीमती रंजू गीता एबं पूर्ब बिधायक श्री अरुण माझी उपस्थित थे इस समारोह की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज कुमार जी ने किया ।
Sunday, 29 October 2017
Tuesday, 24 October 2017
Monday, 23 October 2017
Friday, 20 October 2017
Thursday, 19 October 2017
Wednesday, 18 October 2017
Tuesday, 17 October 2017
Monday, 16 October 2017
Sunday, 15 October 2017
Saturday, 14 October 2017
प्रतिरोधक क्षमता बचाती हैं करोरों बैक्टीरिया सें
दिनभर के 24 घंटे में ऐसा कोई समय नहीं होता,जब हमारे आसपास बैक्टीरिया नहीं होते । वह हो हमारे शारीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती हैं,जो हमें रोजाना करोरों ख़राब बैक्टीरिया से बचाएँ रखती हैं । दिनभर में हम किन गतिबिधियों के दौरान बैक्टीरिया से सामना करते हैं । कही कम तो कही ज्यादा,लेकिन ऊनि आबादी अच्छी कासी होती हैं । कांस्टेंट नें खाशतौर पर खाने की टेबल,हमारे मोबाइल फ़ोन,कंप्यूटर कीबोर्ड,कार के स्टेरिंग बैठनें की खुर्सी,पिने के पानी की बोअतल जैसे उन चीजों का उलेख किया हैं,जिसका इस्तमाल हम दिनभर में कई बार करते हैं ।
कर्म की आदत को बढ़ाबा दें
"कर्मठ' बने । काम कने वाले बनें ।'काम टालने बाला' न बनें ।परिश्स्थ्तियों के आदर्श होनें का इंतजार न करें । वे कभी आदर्श नहीं होंगी । भबिष्य की बाधाओं और कठिनाईयों की उमीद करें और जब वे आयें,तब आप उन्हें सुलझानें का तरीका खोजें ।याद रखे,केबल बिचारों के सफलता नहीं मिलती । बिचारों का मूल्य तभी हैं,जब आप उन पर अमल करें ।डर भागने और आत्मविश्वास हासिल करने कें लिए कर्म करें । जिस काम से आप डरतें हों,वोह और आपका डरभाग जायेगा ।कोशिश करके देखे ।अपने मानसिक इंजन को मशीनी तरीकें से चालू करें । सही मूड बन्ने का इंतजार न करें । कर्म शुरू कर सें, और आपका मूस अपने आप सही हो जायेगा ।आभी कम शुरू करने के बारे में सोचे । कल,अगले सप्ताह,बढ़ में और इसी तरह के शब्द असफलता के शब्द सभी नहीं के पर्ययाबची हैं व् इस तरह के वयक्ति बनें,'में अभी इस काम को शुरू कर देता हु ।'कार्य में जुट जायें । आर्य की तैयारी में समय बर्बाद न करें । इसके बजाय सीधे काम में लग जायें।पहल करें ।संघर्ष करें । गोद छिनकर गोल की तरफ दौर लगायें ।स्वंयसेवक बनें।यह बताएं की आपमें कर्म करने की योगता और महत्वाकांक्षा हैं ।
आपनें दिमाग को गियर में डाल दें और
सफलता की राह पर चल परें!
Friday, 13 October 2017
किस्मत के बहानसाईटिस को दो तरीकों सें जीतें
कारण और परिणाम के नियम को स्वीकार करें ।जब आपको लगे की कोई आदमी खुशकिस्मत है तो जरा गोर से देखे ।तब आपको यह दिखेगा की जिसे आप पहली नज़र में अच्छी किस्मत समझे थे,दरअसल वोह तैयारी,योजना और सफलता के नज़रिया का परिणाम हैं । इसी तरह किसी आदमी की बद्किश्मती को भी गौर से देखे इसके पीछे भी कुछ कारण मिलेगा । मिस्टर सफल को जब झटका लगता हैं,तो बे उससे कुछ सीखते हैं और उससे लाभ उठाते हैं । परन्तु जब मिस्टर असफल हारते हैं,तोह वे आपनी असफलता से कुछ नहीं सिखतें और बहाने बनाते हैं ।
आपनी मानसिक उर्जा को ऐसे सपने देखने में जाया न करे जिसमें बिना मेहनत के सफलता हासिल की जा सकती हैं ।हम किस्मत के सहारें सफल नहीं होते। सफलता उन चीजो को करने से आती हैं और उन सिधान्तों में पारंगत होने से मिलती हैं जो सफलता में सहायक होते हैं । प्रमोशन,जीत,जीवन की अच्छी चीजों में किस्मत का सहारा न ले ।किस्मत से ये चीजों नहीं मिला करती । इसकी बजाय,आपने आपसे ऐसे गुण विकशित करें की आप सचमुच एक विजेता बन जायें ।
जिला जनता दल (यू) किसान प्रकोष्ठ मधुबनी द्वारा आयोजित सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती श्रीकृष्णा मेमोरियल हॉल पटना में किसान समारोह आयोजित समेलन की तैयारी की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए।जिसमे किसान प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष जयबीर सिंह कुशवाहा,जिला जनता दल( यू ) अध्यक्ष कयूम अंसारी एवं दरभंगा जिला जनता दल (यू) के नबीन सिंह उपस्थित थे।
Thursday, 12 October 2017
Wednesday, 11 October 2017
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
*एक कवि* नदी के किनारे खड़ा था !
तभी वहाँ से *एक लड़की* का *शव*
नदी में तैरता हुआ जा रहा था।
तो तभी *कवि ने उस शव* से पूछा ----
तभी वहाँ से *एक लड़की* का *शव*
नदी में तैरता हुआ जा रहा था।
तो तभी *कवि ने उस शव* से पूछा ----
कौन हो तुम ओ सुकुमारी,
*बह रही नदियां के जल में ?*
*बह रही नदियां के जल में ?*
कोई तो होगा तेरा अपना,
*मानव निर्मित इस भू-तल में !*
*मानव निर्मित इस भू-तल में !*
किस घर की तुम बेटी हो,
*किस क्यारी की कली हो तुम ?*
*किस क्यारी की कली हो तुम ?*
किसने तुमको छला है बोलो,
*क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?*
*क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?*
किसके नाम की मेंहदी बोलो,
*हांथों पर रची है तेरे ?*
*हांथों पर रची है तेरे ?*
बोलो किसके नाम की बिंदिया,
*मांथे पर लगी है तेरे ?*
*मांथे पर लगी है तेरे ?*
लगती हो तुम राजकुमारी,
*या देव लोक से आई हो ?*
*या देव लोक से आई हो ?*
उपमा रहित ये रूप तुम्हारा,
*ये रूप कहाँ से लायी हो?*
..........
*ये रूप कहाँ से लायी हो?*
..........
*दूसरा दृश्य----*
*कवि* की बातें सुनकर
*लड़की की आत्मा* बोलती है...
*लड़की की आत्मा* बोलती है...
कविराज मुझ को क्षमा करो,
*गरीब पिता की बेटी हूं !*
*गरीब पिता की बेटी हूं !*
इसलिये मृत मीन की भांती,
*जल धारा पर लेटी हुँ !*
*जल धारा पर लेटी हुँ !*
रूप रंग और सुन्दरता ही,
*मेरी पहचान बताते है !*
*मेरी पहचान बताते है !*
कंगन, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी,
*सुहागन मुझे बनाते है !*
*सुहागन मुझे बनाते है !*
पिता के सुख को सुख समझा,
*पिता के दुख में दुखी थी मैं !*
*पिता के दुख में दुखी थी मैं !*
जीवन के इस तन्हा पथ पर,
*पति के संग चली थी मैं !*
*पति के संग चली थी मैं !*
पति को मेने दीपक समझा,
*उसकी लौ में जली थी मैं !*
*उसकी लौ में जली थी मैं !*
माता-पिता का साथ छोड़
*उसके रंग में ढली थी मैं !*
*उसके रंग में ढली थी मैं !*
पर वो निकला सौदागर,
*लगा दिया मेरा भी मोल !*
*लगा दिया मेरा भी मोल !*
दौलत और दहेज़ की खातिर
*पिला दिया जल में विष घोल !*
*पिला दिया जल में विष घोल !*
दुनिया रुपी इस उपवन में,
*छोटी सी एक कली थी मैं !*
*छोटी सी एक कली थी मैं !*
जिस को माली समझा,
*उसी के द्वारा छली थी मैं !*
*उसी के द्वारा छली थी मैं !*
इश्वर से अब न्याय मांगने,
*शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं !*
*शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं !*
दहेज़ की लोभी इस संसार मैं,
*दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ में !*
*दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ में !*
*दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं !!*
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अनुरोध हैं !!
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
अनुरोध हैं !!
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
Tuesday, 10 October 2017
Sunday, 8 October 2017
Saturday, 7 October 2017
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काम से प्रसंता
अगर हम स्वेच्छा से कोई काम करते है,तो फिर काम जैसा हो,इसका पूरा आनंद उठाते है।यह काम जब पूरा हो जाता है,तो हमे संपूर्णता का अनुभव होता है।इस...